Tuesday, March 14, 2006

आयो रे आयो रे आयो होली का त्यौहार


अबीर‍‍‍ गुलाल की थाल हाथ में
द्वार लगायो बंदनवार
नेह के रंगों से चौक पूजा
आयो होली का त्यौहार

सनन सनन सन चले पवनिया
डोले भँवरा महुआ डाल
बिन गीत बिन साज के
झूमत हर नर नारी

कोई उड़ावे रंग हवा में
कोई रंगे गाल
कोई बजावे ढोल पखावज
कोई देवत ठुमरी पे दाद

भाग रही देखो राधा
पीछे पीछे ग्वाल बाल
आ झपट रंग लगायो
बेसुध राधा न जानी
नटखट कान्हा की चाल

2 comments:

  1. कोई उड़ावे रंग हवा में
    कोई रंगे गाल
    कोई बजावे ढोल पखावज
    कोई देवत ठुमरी पे दाद ...

    बहुत सुंदर गीत है.बधाई.

    समीर लाल

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  2. होली पर आप्अकी कविता बहुत प्यारी लगी | आपको भी होली की शुभकामनाएँ !

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ओ पाहुन.....