Monday, April 16, 2018

ये मेरा जीवन दीप


आस की बाती
नेह की  लौ   
जलाए हृदय में
जल रहा
जो प्रतिपल ।

ये मेरा जीवन दीप

कभी चंचल
कभी अविचल
डोले कभी
होकर विकल।

ये मेरा जीवन दीप

पल पल
करता  आलोकित -
प्रिय पथ
लिए  नयनों में
आलौकिक  प्रित।

ये मेरा जीवन दीप

भेद रहा
असीम तम
जलाकर
कामनाओं के
असंख्य दीप ।

ये मेरा जीवन  दीप

हृदय में पीड़ा
नयनों में  नीर
श्वास -निश्वास
में  बसाए
जीवन संगीत ।

ये मेरा जीवन दीप

अनन्त  करुणा
असीम सूनापन
अविराम जलता
मेरा ये जीवन दीप

3 comments:

  1. बहुत अच्छी रचना

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  2. http://bulletinofblog.blogspot.in/2018/04/blog-post_19.html

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  3. सुन्दर रचना है

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ओ पाहुन.....