Saturday, February 09, 2019

चले जाना फिर ......




                             चले जाना फिर ......

                              चले जाना फिर ......

                           
                               चले जाना फिर ......

                             
                              चले जाना फिर ......


28 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर सृजन सखी
    सादर

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    1. धन्यवाद सखी।

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  2. बहुत ही सुन्दर रचना 👌 दीपशिखा जी

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  3. सुंदर भाव!

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (11-02-2019) को "खेतों ने परिधान बसन्ती पहना है" (चर्चा अंक-3244) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    बसन्त पंचमी की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. सादर आभार आदरणीय।

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  5. अहा..अति सुंदर अप्रतिम सृजन दीपा जी👌👌

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    1. सादर आभार आदरणीया ।

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  6. बहुत खूब ...
    चले जाना ... सच है कितना कुछ होता है जिसको कहने सुनाने की चाहत रह जाती है मन में ... हर छंद दिल के पार उतरता हुआ ...

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    1. सादर आभार आदरणीय।

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  7. मन की व्याकुलता को बहुत ही सुंदर तरीके से व्यक्त किया हैं आपने,दीपशिखा दी।

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    1. सस्नेह धन्यवाद प्रिय ज्योति ।

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  8. A beautiful poem of separation from loved one. So much agony.

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  9. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १५ फरवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. सादर आभार आदरणीया ।

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  10. अति सुंदर सृजन ,स्नेह

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    1. सादर आभार आदरणीया ।

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  11. मन की व्याकुलता कहने को आतुर
    जाने से पहले सुन तो जाना
    चाहो तो फिर चले जाना
    बहुत ही हृदयस्पर्शी....भावपूर्ण ...लाजवाब प्रस्तुति...

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    1. सादर धन्यवाद ।

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  12. जाने से पहले सुन तो जाना
    चाहो तो फिर चले जाना
    बहुत ही हृदयस्पर्शी
    वक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें|
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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    1. सादर आभार आदरणीय ।

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  13. वाह! साक्षात् महादेवी को ही पढ़ रहा हूँ !

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    1. सर सादर आभार।

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ओ पाहुन.....