Monday, October 15, 2018

आँसू






22 comments:

  1. वाह वाह बहुत सुंदर!

    ReplyDelete
  2. वाह बहुत सुंदर रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. साभार धन्यवाद आदरणीया अनुराधा जी।

      Delete
  3. बहुत खूब दीपशिखा जी, बहुत खूब ! आपने जो कहा, बिल्कुल ठीक कहा । हिंदी फिल्म हमराही (1963) का मर्मस्पर्शी गीत याद आ गया मुझे - 'ये आँसू मेरे दिल की ज़ुबान हैं; मैं रोऊँ तो रो दें आँसू, मैं हँस दूँ तो हँस दें आँसू; ये आँसू मेरे दिल की ज़ुबान हैं'। आपकी कविता के तीसरे पद के संदर्भ में अपनी ओर से केवल इतना ही जोड़ना चाहूंगा (ग़ालिब की ज़ुबान में) - 'आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक, कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक'।

    ReplyDelete
    Replies
    1. Sir I am really grateful for your kind words of appreciation.

      Delete
  4. बहुत सुन्दर रचना, दीपशिखा जी

    ReplyDelete
  5. सुन्दर रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद सखी।

      Delete
  6. Replies
    1. धन्यवाद आदरणीय।

      Delete
  7. बहुत सुन्दर रचना दीपशिखा जी ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. साभार धन्यवाद मीना जी

      Delete
  8. so touched with these lines Shikha. loved it

    ReplyDelete
  9. लाजवाब
    बेहतरीन रचना
    बहुत खूब

    ReplyDelete
  10. साभार धन्यवाद लोकेश जी।

    ReplyDelete
  11. बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति ! दिल को स्पर्श करता हुआ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. साभार धन्यवाद।

      Delete
  12. दिल को छूती बहुत सुंदर रचना, दीपशिखा दी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सस्नेह धन्यवाद।

      Delete

ओ पाहुन.....