Sunday, October 28, 2018

क्या तुम .........








31 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 28/10/2018 की बुलेटिन, " रुके रुके से कदम ... रुक के बार बार चले “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. साभार धन्यवाद शिवमं जी।

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  2. महादेवी वर्मा की याद ताजा कर दी आपकी रचना ने। आभार!!!

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    1. सर आपके सरहनीय शब्द मेरे लिए अमूल्य निधि है।

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  3. बहुत ही सुन्दर रचना दीपा

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    1. सादर धन्यवाद अभिलाषा जी।

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  4. बहुत सुन्दर रचना

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  5. बेहतरीन लेखन का नमूमा। सुन्दर रचना।

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    1. सराहना के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद सर।

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  6. सुख को इतना मान देना कहाँ आसान होता है ...
    सभी छन्द गहरी बात लिए

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    1. सराहना के लिए सादर आभार दिगम्बर जी।

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  7. इतने कम शब्दों में इतनी गहराई की बातें ! मेरे अंतस को झकझोर दिया है इन छंदों ने । निःशब्द हो गया हूँ मैं ।

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    1. जितेंद्र जी सृजनात्मक लेखन के पथ में आप जैसे अभिप्रेरक का साथ निसन्देह मेरे लिए एक बहुत बड़ी उप्लब्धि है।

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  8. सादर आभार सर।

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  9. बेहतरीन रचना सखी

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    1. सस्नेह धन्यवाद सखी।

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  10. हृदयस्पर्शी रचना !

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  11. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (30-10-2018) को "दिन का आगाज़" (चर्चा अंक-3140) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. साभार धन्यवाद आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'जी।

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  12. बहुत सुंदर रचना, दीपा दी।

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    1. सस्नेह धन्यवाद ज्योति जी।

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  13. बहुत शानदार

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    1. सादर आभार लोकेश जी।

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  14. बेहद.हृदयस्पर्शी रचना मन छू गयी आपकी लेखनी दीपा जी..।

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    1. सस्नेह धन्यवाद आदरणीया श्वेता जी।

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  15. मन छू गयी .... दीपा जी..।

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    1. Thanks Sanjay ji for your kind words.

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ओ पाहुन.....