निराशा के तम को चीर कर
आशा का दीप जला दो
मन मंदिर में फिर से
ज्योति कलश सजा दो
विरह वेदना का संताप
नयनों में बसी मिलन की प्यास
प्रणय की नव विभा में
मिलन दीप जला दो
हो रहा जीवन तिल तिल राख
मन में लिए मिलन की आस
उज्जवल आलौकिक फिर से
नव जीवन दीप जला दो