आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (28-12-2018) को "नव वर्ष कैसा हो " (चर्चा अंक-3199)) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हृदयस्पर्शी रचना !
ReplyDeleteसस्नेह धन्यवाद नीरज जी ।
Deleteबेहतरीन लेखन, उत्कृष्ट रचना... हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteसस्नेह आभार आदरणीय पुरूषोत्तम जी।
Deleteदिल को छूती बहुत सुंदर रचना,दीपशिखा दी। इतनी भारी भारी शब्दों में रचना करना वा व्व आपकी कल्पनाशक्ति का जबाब नहीं।
ReplyDeleteसस्नेह आभार प्रिय ज्योति जी।
Deleteअप्रतिम... वाहहह... लाज़वाब अभिव्यक्ति दीपा जी..बहुत सुंदर लेखन..बधाई इस बेहतरीन सृजन के लिए।
ReplyDeleteसरहनीय शब्दों के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया श्वेता जी।
Deleteवाह बहुत सुन्दर!!
ReplyDeleteश्रृंगार रस का सुमधुर राग गाया आपने। बहुत प्यारी रचना।
साभार धन्यवाद आदरणीया कुसुम जी।
Deleteवाह !बहुत सुन्दर रचना सखी 👌
ReplyDeleteसादर
सस्नेह आभार सखी ।
Deleteये जीवन है अबट कुछ होता है कुछ नहि भी होता ... पर चक्र है जो चलता रहता है ...
ReplyDeleteसार्थक रचना ...
साभार धन्यवाद अदरणीय दिगम्बर जी ।
Deleteबहुत सुन्दर कविता :)
ReplyDeleteधन्यवाद सचिन जी
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteसाभार धन्यवाद आदरणीया।
DeleteBeautiful poem.
ReplyDeleteThanks sir.
ReplyDeleteकविता के बोल हृदय के तल पर कहीं पैठ गए हैं और मेरी वाणी मूक हो गई है । न जाने कितने विरहियों और विरहणियों के मन की पीड़ा की प्रतिध्वनि है इसमें ।
ReplyDeleteआदरणीय माथुर जी सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार । निसन्देह: अपके द्वारा प्रशंसा में कहे गये चंद शब्दों से मुझे बहुत प्रोत्साहन मिलता है।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (28-12-2018) को "नव वर्ष कैसा हो " (चर्चा अंक-3199)) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
साभार धन्यवाद आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री जी।
Deleteसाभार धन्यवाद आदरणीया श्वेता जी।
ReplyDeleteBeautiful words
ReplyDeleteThanks rupam.
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteThanks ritu ji.
Deleteलाजबाब ..............
ReplyDeleteसाभार धन्यवाद ।
Deleteप्रेम हम से क्या क्या नहीं करवाता
ReplyDeleteजो ना करवा सका कोई वो करवाता।
अद्भुत
साभार धन्यवाद।
DeleteYou are welcome...
ReplyDeleteवाह वाह ! अति सुन्दर एवं हृदयग्राही ! बहुत प्यारी रचना !
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय साधना जी।
Deleteवाह! बेहद खूबसूरत ।
ReplyDeleteसाभार धन्यवाद।
Deleteप्रिय दीपशिखा जी,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना... मन को छू गया यह विरह गीत ।
शुभकामनाएँ।
सादर आभार।
DeleteVery touching lines!
ReplyDeleteThanks Indu ji
Deleteबहुत ही सुन्दर लिखती हैं आप ! <3
ReplyDeleteसस्नेह धन्यवाद संगीता जी।
Deleteवाह
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन
बधाई
साभार धन्यवाद आदरणीय।
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