Tuesday, December 25, 2018

क्यों बन सुधि तुम समाए ह्रदय में.......





क्यों बन सुधि तुम समाए ह्रदय  में.......

क्यों बन सुधि तुम समाए ह्रदय  में.......

क्यों बन सुधि तुम समाए ह्रदय  में.......

क्यों बन सुधि तुम समाए ह्रदय में.......

क्यों बन सुधि तुम समाए ह्रदय  में.......

क्यों बन सुधि तुम समाए ह्रदय  में.......



46 comments:

  1. हृदयस्पर्शी रचना !

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    1. सस्नेह धन्यवाद नीरज जी ।

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  2. बेहतरीन लेखन, उत्कृष्ट रचना... हार्दिक शुभकामनाएं

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    1. सस्नेह आभार आदरणीय पुरूषोत्तम जी।

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  3. दिल को छूती बहुत सुंदर रचना,दीपशिखा दी। इतनी भारी भारी शब्दों में रचना करना वा व्व आपकी कल्पनाशक्ति का जबाब नहीं।

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    1. सस्नेह आभार प्रिय ज्योति जी।

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  4. अप्रतिम... वाहहह... लाज़वाब अभिव्यक्ति दीपा जी..बहुत सुंदर लेखन..बधाई इस बेहतरीन सृजन के लिए।

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    1. सरहनीय शब्दों के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया श्वेता जी।

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  5. वाह बहुत सुन्दर!!
    श्रृंगार रस का सुमधुर राग गाया आपने। बहुत प्यारी रचना।

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    1. साभार धन्यवाद आदरणीया कुसुम जी।

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  6. वाह !बहुत सुन्दर रचना सखी 👌
    सादर

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    1. सस्नेह आभार सखी ।

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  7. ये जीवन है अबट कुछ होता है कुछ नहि भी होता ... पर चक्र है जो चलता रहता है ...
    सार्थक रचना ...

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    1. साभार धन्यवाद अदरणीय दिगम्बर जी ।

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  8. बहुत सुन्दर कविता :)

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    1. धन्यवाद सचिन जी

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  9. बेहतरीन रचना

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    1. साभार धन्यवाद आदरणीया।

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  10. कविता के बोल हृदय के तल पर कहीं पैठ गए हैं और मेरी वाणी मूक हो गई है । न जाने कितने विरहियों और विरहणियों के मन की पीड़ा की प्रतिध्वनि है इसमें ।

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    1. आदरणीय माथुर जी सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार । निसन्देह: अपके द्वारा प्रशंसा में कहे गये चंद शब्दों से मुझे बहुत प्रोत्साहन मिलता है।

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  11. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (28-12-2018) को "नव वर्ष कैसा हो " (चर्चा अंक-3199)) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. साभार धन्यवाद आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री जी।

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  12. साभार धन्यवाद आदरणीया श्वेता जी।

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  13. लाजबाब ..............

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    1. साभार धन्यवाद ।

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  14. प्रेम हम से क्या क्या नहीं करवाता
    जो ना करवा सका कोई वो करवाता।

    अद्भुत

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    1. साभार धन्यवाद।

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  15. वाह वाह ! अति सुन्दर एवं हृदयग्राही ! बहुत प्यारी रचना !

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    1. सादर आभार आदरणीय साधना जी।

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  16. वाह! बेहद खूबसूरत ।

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    1. साभार धन्यवाद।

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  17. प्रिय दीपशिखा जी,
    बहुत सुन्दर रचना... मन को छू गया यह विरह गीत ।
    शुभकामनाएँ।

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  18. बहुत ही सुन्दर लिखती हैं आप ! <3

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    1. सस्नेह धन्यवाद संगीता जी।

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  19. वाह
    बहुत सुंदर सृजन
    बधाई

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    1. साभार धन्यवाद आदरणीय।

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ओ पाहुन.....