बहुत ही मर्मान्तक रचना सखी | कितने वेदना पूर्ण संवाद हैं मन के है | पर निष्ठुर लोग इसे समझते कहाँ हैं ?किसी से दूर होने की कल्पना कितनी पीडादायी हो सकती है ये कोई क्या जाने ? स्नेहिल शुभकामनायें सखी इतने मनभावन सुकोमल लेखन के लिए |
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (27-01-2019) को "गणतन्त्र दिवस एक पर्व" (चर्चा अंक-3229) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह......! बहुत खूब !
ReplyDeleteहमेशा की तरह बेहतरीन प्रस्तुति
बेहतरीन रचना.....आदरणीया।
सादर आभार ।
Deleteबहुत ही मर्मान्तक रचना सखी | कितने वेदना पूर्ण संवाद हैं मन के है | पर निष्ठुर लोग इसे समझते कहाँ हैं ?किसी से दूर होने की कल्पना कितनी पीडादायी हो सकती है ये कोई क्या जाने ? स्नेहिल शुभकामनायें सखी इतने मनभावन सुकोमल लेखन के लिए |
ReplyDeleteसस्नेह धन्यवाद सखी ।
Deleteप्रिय सखी हमेंशा की तरह बहुत ही अच्छी रचना ,मार्मिक और मन को मोहने वाली
ReplyDeleteसादर
सस्नेह धन्यवाद सखी ।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (27-01-2019) को "गणतन्त्र दिवस एक पर्व" (चर्चा अंक-3229) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
गणतन्त्र दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार आदरणीय।
Deleteबहुत सुंदर ...
ReplyDeleteदिल को छूती हुयी पंक्तियाँ ... सार्थक अभिव्यक्ति ...
सादर आभार आदरणीय दिगम्बर जी ।
Deleteबहुत ही हृदयस्पर्शी रचना...।
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
सादर आभार ।
Deleteबहुत सुंदर दिल को छूती रचना,दीपशिखा दी।
ReplyDeleteसस्नेह धन्यवाद प्रिय ज्योति ।
Deleteमार्मिक किन्तु भावों की भांगुरता के दर्शन का यथार्थ!
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय ।
Deleteबेहतरीन रचना दीपशिखा जी
ReplyDeleteसस्नेह धन्यवाद सखी ।
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 27 जनवरी 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीया ।
Deleteबहुत ही सुंदर रचना....
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आदरणीय पुरुषोत्तम जी।
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteसादर आभार ।
Deleteउत्तम रचना !
ReplyDeleteसस्नेह धन्यवाद नीरज जी ।
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