मिटता जब आस्तित्व मेरा ,जगमगाता ये जहां है तुम्ही कहो प्रिये कैसे तोड़ दूँ सृष्टि का ये अटूट विधान मैं !!!! बहुत खूब..... प्रेम और विरह की अनुपम प्रस्तुति ,सादर स्नेह दीपा जी
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (04-01-2019) को "वक़्त पर वार" (चर्चा अंक-3206) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर अम्बर निशा संवाद दीपा जी 👌
ReplyDeleteसादर
सस्नेह धन्यवाद सखी।
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteसादर धन्यवाद अभिलाषा जी।
Deleteबहुत खूब...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर
अंबर निशा संवाद
अद्भुत रचना !
ReplyDeleteनववर्ष की मंगलकामना आपके और आपके परिवार के लिए!
सस्नेह धन्यवाद नीरज जी।
Deleteइस प्रकार की कविता का सृजन कवि की रचनाशीलता की ऊंचाइयों को दर्शाता है I
ReplyDeleteप्रखर रचनाशीलता का अप्रतिम उदाहरण है ये कविता I
बहुत-बहुत धन्यवाद नीरज जी।
Deleteहमेशा की तरह एक बार फिर बेहतरीन कविता। कविता अर्थात पद्य लेखन हिंदी को पूर्ण करता है, ऐसे ही लिखती रहें आप।
ReplyDeleteसादर आभार रवि जी।
Deleteमिटता जब आस्तित्व मेरा ,जगमगाता ये जहां है
ReplyDeleteतुम्ही कहो प्रिये कैसे तोड़ दूँ सृष्टि का ये अटूट विधान मैं !!!!
बहुत खूब..... प्रेम और विरह की अनुपम प्रस्तुति ,सादर स्नेह दीपा जी
सस्नेह धन्यवाद सखी ।
Deleteवाह
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन
बधाई
सादर आभार आदरणीय ।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (04-01-2019) को "वक़्त पर वार" (चर्चा अंक-3206) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
साभार धन्यवाद आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री जी।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार ४ जनवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
साभार धन्यवाद आदरणीया ।
Deleteबहुत सुंदर काव्यात्मक प्रस्तुति।
ReplyDeleteसंवाद काव्य गहन और सुघड़।
बहुत प्यारी रचना ।
बिंबों का अनोखा प्रयोग... लोह तिमिर और पारस किरणे आदि ..
साभार धन्यवाद आदरणीया कुसुम जी ।
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteसाभार धन्यवाद ।
Deleteबहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteनये साल कि ढेर सारी शुभकामनाऐ
सस्नेह धन्यवाद संजय जी। आपको भी सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
Deleteसादर आभार।
ReplyDeleteप्यार की गहराई व्यक्त करती बहुत सुंदर रचना, दिपशिखा दी। बहुत बढिया।
ReplyDeleteसस्नेह धन्यवाद प्रिय ज्योति ।
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