निराशा के तम को चीर कर
आशा का दीप जला दो
मन मंदिर में फिर से
ज्योति कलश सजा दो
विरह वेदना का संताप
नयनों में बसी मिलन की प्यास
प्रणय की नव विभा में
मिलन दीप जला दो
हो रहा जीवन तिल तिल राख
मन में लिए मिलन की आस
उज्जवल आलौकिक फिर से
नव जीवन दीप जला दो
बहुत अच्छी रचना- दीप- दीपा जी ।
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
आपकी यह पंक्तियाँ मेरे मन को बहुत भा गईं वो शायद इसलिइ क्योंकि अभी मेरी यहीं स्थिति हैं
ReplyDeleteविरह वेदना का संताप
नयनों में बसी मिलन की प्यास
प्रणय की नव विभा में
मिलन दीप जला दो
आपको दीपावली की शुभकामनाएँ!!!
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteउज्जवल आलौकिक फिर से
ReplyDeleteनव जीवन दीप जला दो
-सुंदर भाव हैं.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाई.
दीपोत्सव पर्व मंगलमय हो।
ReplyDeleteविरह की अगन हृदय की तपन
ReplyDeleteहोले होले बरसे मेरे व्याकुल नयन
बहुत सुन्दर भाव है
बहुत बधाइयाँ
--कृष्णशँकर सोनाने