अबूझ पहेली ये जिन्दगी
चले संग-संग लिए कई रंग
कभी आँगन दमके इन्द्रधनुष
छाये कभी घोर गहन तम
लगे कभी थमी -थमी
जैसे तना वितान गगन
बह चले कभी ऐसे
जैसे उन्मुक्त पवन
कभी उमंग की डोर पर
उड़ चले छूने घन
कभी बन मूक व्यथा
ढुलके, मिले रज-तन
सँ।सों के बंधन में
चली चले अपनी ही धुन
इक पल में थम जाए
छूटे जब सँ।सों का संग
Jeevan ki sacchi ragini, Anbujh paheli ko suljhaati falguni bayar......Uttam rachna ke liye badhayi..
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeleteJust Beautiful. Every word carries lot of meaning. Keep it up.
ReplyDeleteMohan