बहुत खूबसूरत अशआरबेहतरीन अभिव्यक्ति
मत छुओ इन पलकों को...सुन्दर भावों को पिरोते प्यारी सी रचना।
Thanks Lokesh ji and Purushottam ji for your kind words.
सुन्दर
सादर आभार।
Thanks Shivam ji
बहुत सुंदर।
The drawing at the start of the poem hijacked my mind space even when I scrolled the page to read the poem and got engrossed in it. Bahut hi sundar, taral bhavanaon ka avishkar hai ye aap ki peshkash!
Thanks Anagha ji for your kind words
पीड़ा बह जाने दो ...बहुत सादगी लिए मन के नाज़ुक भाव लिख दिए हैं ...
दर्द का सार हैं ये कविताबहुत सुंदर।
आह! ढरक जाएगा पलकों से, दर्द दृश्यमान हो जाएगा।
Thank you for your kind words.
बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना
अभिलाषा जी साभार धन्यवाद।
सुंदर और भावों से भरी रचना शुभकामनाएं दीपशिखा जी
सुप्रिया जी साभार धन्यवाद।
सुन्दर भाव आदरणीय ...
साभार धन्यवाद।
बहुत सुंदर रचना
साभार धन्यवाद अनुराधा जी।
वाह!
बहुत खूबसूरत अशआर
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति
मत छुओ इन पलकों को...
ReplyDeleteसुन्दर भावों को पिरोते प्यारी सी रचना।
Thanks Lokesh ji and Purushottam ji for your kind words.
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteसादर आभार।
DeleteThanks Shivam ji
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteसादर आभार।
DeleteThe drawing at the start of the poem hijacked my mind space even when I scrolled the page to read the poem and got engrossed in it.
ReplyDeleteBahut hi sundar, taral bhavanaon ka avishkar hai ye aap ki peshkash!
Thanks Anagha ji for your kind words
ReplyDeleteपीड़ा बह जाने दो ...
ReplyDeleteबहुत सादगी लिए मन के नाज़ुक भाव लिख दिए हैं ...
सादर आभार।
Deleteदर्द का सार हैं ये कविता
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
सादर आभार।
Deleteआह! ढरक जाएगा पलकों से, दर्द दृश्यमान हो जाएगा।
ReplyDeleteThank you for your kind words.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteअभिलाषा जी साभार धन्यवाद।
Deleteसुंदर और भावों से भरी रचना शुभकामनाएं दीपशिखा जी
ReplyDeleteसुप्रिया जी साभार धन्यवाद।
Deleteसुन्दर भाव आदरणीय ...
ReplyDeleteसाभार धन्यवाद।
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसाभार धन्यवाद अनुराधा जी।
Deleteवाह!
ReplyDeleteसादर आभार।
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