अल्प विराम
Sunday, March 26, 2006
कौन से पथ राह जोहूँ
कौन से पथ राह जोहूँ
गए किस ओर साँवरे
बाट जोहत सजल नयना
हो गए अब बावरे।
निर्झर अम्बर बरस रहा
मिटा घरा गगन का भेद
पिघल दिशाएँ एक भईं
लिए संग व्यथा संदेश।
पल पल बीता युग भया
नहीं टूटी उर की आस
आन मिलो अब साँवरे
भेद विरह संताप
Tuesday, March 14, 2006
आयो रे आयो रे आयो होली का त्यौहार
अबीर गुलाल की थाल हाथ में
द्वार लगायो बंदनवार
नेह के रंगों से चौक पूजा
आयो होली का त्यौहार
सनन सनन सन चले पवनिया
डोले भँवरा महुआ डाल
बिन गीत बिन साज के
झूमत हर नर नारी
कोई उड़ावे रंग हवा में
कोई रंगे गाल
कोई बजावे ढोल पखावज
कोई देवत ठुमरी पे दाद
भाग रही देखो राधा
पीछे पीछे ग्वाल बाल
आ झपट रंग लगायो
बेसुध राधा न जानी
नटखट कान्हा की चाल
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