ये सच है कि
ये आँसू हैं
हमारे दोस्त हर दम
कभी गम तो कभी खुशी से
कर देते है आँखें नम
करते कभी
इनकी नमी से
वफा का एहसास
दो चाहने वाले मन
तो कभी
बेरूखी पर किसी की
बह उठते
दुख का सागर बन
माना कि
ये हैं मूक
पर इनकी आहों में भी
असर होता है
बहें जब दुआऍ बनकर
खंजर भी बेअसर होता है
रखना सहेज कर इनको
ताउम्र साथ निभायेंगें
छोड़ देंगें साथ
जब सभी अपने
ये ही है जो बाँहों का सहारा देंगें
Badi Subder Rachana lagee Deepa ji..
ReplyDeletethanks vij
ReplyDeletenice poem its realy touch
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