Tuesday, December 05, 2006

नयन बावरे गए आज भर

नयन बावरे गए आज भर
पल में छलकी
गागर गहरी
पल में बेसुध
भए सजल

नयन बावरे गए आज भर
कभी सकुचे
पलकों के लघु तन
कभी ताके
असीम गगन

नयन बावरे गए आज भर
तडित घन के
प्रज्‍जवलित अंग सा
सिहर उठे
व्‍याकुल तन

नयन बावरे गए आज भर
कामनाओं के
कम्‍पन से
डोल रहा
एकाकी मन

नयन बावरे गए आज भर
पिया पिया के
मुखरित स्‍वर से
चहुँ दिशाएं
गुंजे एक संग

3 comments:


  1. नयन बावरे गए आज भर
    कामनाओं के
    कम्‍पन से
    डोल रहा
    एकाकी मन


    वाह, वाह-अति सुंदर!!!

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  2. What an imagination of feelings expressed through eyes. Just superb.
    I wish I could comment in Hindi.. how to do that
    M. R.

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  3. I m a fan of deepa ji, but for some time now i am not being able to read her new creations! Can someone help me what to do to read those fonts, which look like question mark in my pc?

    Help me someone, please!

    Vijay

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ओ पाहुन.....