Wednesday, May 28, 2008

बैरी उर

बीते युग
पल-पल, गिन-गिन,
शिथिल हुई हर श्‍वास
धड़क उठा बैरी उर फिर
सुनकर किसकी पदचाप ?
बह गया
रिम-झिम, रिम-झिम,
गहन घन-संताप
सजल हुआ बैरी उर फिर
सुनकर क्‍यूँ मेध मल्‍लार
जल उठे 
झिल-मिल, झिल-मिल,
कामनाओं के दीप
धधक उठा बैरी उर फिर
सुनकर क्‍यूँ मिलन गीत ?

3 comments:

  1. अच्छा है. बधाई.

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  2. सुंदर.
    भावप्रण गीत.
    बधाई.

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  3. बढ़िया है.

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ओ पाहुन.....