आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (11-02-2019) को "खेतों ने परिधान बसन्ती पहना है" (चर्चा अंक-3244) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही सुन्दर सृजन सखी
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद सखी।
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना 👌 दीपशिखा जी
ReplyDeleteसादर आभार।
Deleteसुंदर भाव!
ReplyDeleteThanks Neeraj
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (11-02-2019) को "खेतों ने परिधान बसन्ती पहना है" (चर्चा अंक-3244) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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बसन्त पंचमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार आदरणीय।
Deleteअहा..अति सुंदर अप्रतिम सृजन दीपा जी👌👌
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीया ।
Deleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteचले जाना ... सच है कितना कुछ होता है जिसको कहने सुनाने की चाहत रह जाती है मन में ... हर छंद दिल के पार उतरता हुआ ...
सादर आभार आदरणीय।
Deleteगजब...हर छंद
ReplyDeleteThanks Sanjay ji
Deleteमन की व्याकुलता को बहुत ही सुंदर तरीके से व्यक्त किया हैं आपने,दीपशिखा दी।
ReplyDeleteसस्नेह धन्यवाद प्रिय ज्योति ।
DeleteA beautiful poem of separation from loved one. So much agony.
ReplyDeleteThanks sir.
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार १५ फरवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सादर आभार आदरणीया ।
Deleteअति सुंदर सृजन ,स्नेह
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीया ।
Deleteमन की व्याकुलता कहने को आतुर
ReplyDeleteजाने से पहले सुन तो जाना
चाहो तो फिर चले जाना
बहुत ही हृदयस्पर्शी....भावपूर्ण ...लाजवाब प्रस्तुति...
सादर धन्यवाद ।
Deleteजाने से पहले सुन तो जाना
ReplyDeleteचाहो तो फिर चले जाना
बहुत ही हृदयस्पर्शी
वक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें|
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
सादर आभार आदरणीय ।
Deleteवाह! साक्षात् महादेवी को ही पढ़ रहा हूँ !
ReplyDeleteसर सादर आभार।
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