तुम्हारा व मेरे प्रेम का इतिहास
सागर मंथन
निशब्द परलाप
अनकही वेदना
हिय से उठती आह
इन पिघलते एहसासों ने रचा
तुम्हारे व मेरे प्रेम का इतिहास
व्योम तकती आँखें
निरंतर परमाद
चिर संगिनी यादें
नीरव पलों का साथ
इन पिघलते एहसासों ने रचा
तुम्हारे व मेरे प्रेम का इतिहास
विरह यामिनी
निस्तेज pran
निस्पंद जीवन
विषाद सजल मन
इन पिघलते एहसासों ने रचा
तुम्हारे व मेरे प्रेम का इतिहास
अनकही पहेली
अनजानी तकरार
न आयी कभी बसंत
न देखी हमनें बहार
इन पिघलते एहसासों ने रचा
तुम्हारे व मेरे प्रेम का इतिहास
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