Monday, December 07, 2009

श्रद्धांजलि


वो कल की ही तो है बात

नहीँ बिछुड़ा था जब
तुम्हारा व मेरा साथ

वो तुम्हारा शान्त चेहरा
था जिस पर अनुशासन का पहरा
ना हँसना ना हँसाना
सदा कुछ ना कुछ सिखाना

कल ही तो खेले थे तुम
कुछ पल मुझ संग
मेरा रुठना
इठलाना
स्नेह से तुम्हारा मनाना
वो छिपकर कभी
मेरा तुम्हेँ सताना
फिर अगले ही पल
तुम्हारी विशाल बाँहोँ में
सिमट जाना

कल ही तो बीता है मेरा बचपन
देखा तब मैंने तुममेँ
एक नया ही अपनापन
हूई थी जीवन मेँ तभी
कुछ उपलब्धियाँ
पायी थी मैंने
तुमसे थपकियाँ
वो कल ही तो हुई थी
मेरी विदाई
हो चली जब मैँ पराई
की थी दूर तुमने
खुद अपनी परछाई

सभी स्वजन गले मिले थे
दुख बन अश्रु
सभी के बहे थे
तुम दूर कहीं खड़े थे
मानो किसी
चिन्तन में पड़े थे
वो कल की ही तो है बात
नहीं बिछड़ा था
जब तुम्हारा व मेरा साथ

सब कहते हैं कि
तुम अब नहीँ हो
पर मेरा मानना है कि
बन मेरा आदर्श
इस पल भी तुम यहीं हो
इस पल भी तुम यहीं हो

1 comment:

  1. i visit the blog after a long time. It was happy to read the things which are very close to my heart. Happy new year to all!!!

    ReplyDelete

ओ पाहुन.....