आस की बाती
नेह की लौ
जलाए हृदय में
जल रहा
जो प्रतिपल ।
ये मेरा जीवन दीप
कभी चंचल
कभी अविचल
डोले कभी
होकर विकल।
ये मेरा जीवन दीप
पल पल
करता आलोकित -
प्रिय पथ
लिए नयनों में
आलौकिक प्रित।
ये मेरा जीवन दीप
भेद रहा
असीम तम
जलाकर
कामनाओं के
असंख्य दीप ।
ये मेरा जीवन दीप
हृदय में पीड़ा
नयनों में नीर
श्वास -निश्वास
में बसाए
जीवन संगीत ।
ये मेरा जीवन दीप
अनन्त करुणा
असीम सूनापन
अविराम जलता
मेरा ये जीवन दीप
बहुत अच्छी रचना
ReplyDeletehttp://bulletinofblog.blogspot.in/2018/04/blog-post_19.html
ReplyDeleteसुन्दर रचना है
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