Friday, December 07, 2018

झर उठते तुम अश्रु-सुमन क्यूँ हर बार .....










19 comments:

  1. हां,उत्तर तो कठिन है...पर शायद यही हमारे ज़िंदा होने को दर्शाता है I

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    1. Thanks neeraj ji for your comments.

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  2. बहुत ही मार्मिक रचना और अत्यंत सुदक्ष , साहित्यिक शैली प्रिय दीपा जी | आपका लेखन आकर्षित करता है | हार्दिक शुभकामनायें |

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    1. साभार धन्यवाद आदरणीया रेनू जी।

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  3. बहुत ही बेहतरीन रचना दीपशिखा जी सच आपके लिखने का अंदाज ही बहुत सुंदर है

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    1. आपका हार्दिक आभार आदरणीया अनुराधा जी।

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-12-2018) को "कल हो जाता आज पुराना" (चर्चा अंक-3180) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. साभार धन्यवाद आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री जी।

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  5. जीवन के हर एहसास में, ख़ुशी गम में ... बह उठते हैं ये अश्रु ...
    बहुत से गहरे लम्हों के तार बुने हैं इस रचना में ...

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    1. साभार धन्यवाद आदरणीया दिगम्बर जी।

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  6. बहुत खूबसूरत और हृदयस्पर्शी सृजन !!

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    1. साभार धन्यवाद मीना जी

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  7. बहुत उम्दा

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    1. साभार धन्यवाद आदरणीय लोकेश जी।

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  8. बेहतरीन रचना
    मार्मिक

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    1. साभार धन्यवाद आदरणीय।

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  9. साभार धन्यवाद ।

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  10. बहुत ही हॄदयस्पर्शी रचना दीपशिखा दी। बहुत ही बढ़िया प्रस्तूति।

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    1. स्स्नेह धन्यवाद प्रिय ज्योति।

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ओ पाहुन.....