Monday, November 23, 2009

इंतजार


सोचते हैं कि ये हमने क्या किया
क्यूँ किसी बेवफा को दिल दिया

ताउम्र बिता दी
उसके इंतजार में
पल भर को भी
सपनों में
न जो मिला किया
लुटादी उसके प्यार में
हमने हर खुशी
जो हर गम से अपने
बेखबर बना रहा
किया इंतजार उस का
पल पल गिन कर
बड़ी बेरूखी से जिसने
सब कुछ भूला दिया
खुळी आँखों में सजाए
सपनें सजीले
इंतजार के नाम पर
फिर खुद से दगा किया

4 comments:

  1. खुळी आँखों में सजाए
    सपनें सजीले
    इंतजार के नाम पर
    फिर खुद से दगा किया
    सपने अक्सर दगा दे ही जाते हैं
    सुन्दर रचना

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  2. बहुत उम्दा!

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  3. सोचते हैं कि ये हमने क्या किया
    क्यूँ किसी बेवफा को दिल दिया

    सच लिखा है ........ किसी बेवफा को दिल दे कर दुःख, दर्द के सिवा कुछ नहीं मिलता ..... लाजवाब लिखा है .....

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  4. ... लाजवाब लिखा है .....

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ओ पाहुन.....